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जुनैद अकरम फ़ारूक़ी साहब

जुनैद अकरम फ़ारूक़ी साहब की इल्मी व अदबी खिदमात:-

 

साहिल फ़ारूक़ी अमरोहवी

Junaid Akram Farooqui

अमरोहा एक क़दीम मर्दुम ख़ेज़ बस्ती है।यहां हर दौर में क़ाबिल ए ज़िक्र इल्मी अदबी बा हुनर शख्सियात पैदा होती रही हैं।इन्ही शख़्सियात में से इस ज़माने में जनाब अल्लामा ए अस्र जुनैद अकरम फ़ारूक़ी साहब एक काबिल ए ज़िक्र शख्सियत हैं।आपकी पैदाइश 1 जुलाई 1966 को मोहल्ला चिल्ला अमरोहा में हुई फिलहाल आप यहीं साकिन हैं। उर्दू के जाने माने अदीब जनाब इकरामउद्दीन अकरम फ़ारूक़ी साहब आपके वालिद ए माजिद हैं।आपकी इब्तिदाई तालीम अमरोहा में हुई। हाई स्कूल GIC फतेहगढ़ से किया। इंटर (प्राइवेट) आई एम इंटर कॉलेज अमरोहा और बी ०ए० (रेगुलर) ,जे एस० हिन्दू डिग्री कॉलेज अमरोहा से किया। एम०ए०उर्दू महाराजा हरीश चंद्र डिग्री कॉलेज मुरादाबाद से किया।एम०फिल०(उर्दू) अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अलीगढ़ से किया। पीएचडी के दौरान जम्मू कश्मीर लाइट इनफेट्री (आर्मी) में जूनियर कमिशन ऑफिसर JCO की पोस्ट पर तकर्रूर हो गया।इस सिलसिले में कश्मीर,श्रीनगर,नौशेरा बॉर्डर (राजौरी ) और सांबा सेक्टर जम्मू में तैनात रहे।आपने 5वी क्लास के बाद क़ुरआन शरीफ़ हिफ़्ज़ किया इसके बाद तजवीद पढ़ी और अरबी आलिम का कोर्स किया।फ़ाज़िल ए दीनियात और फ़ाज़िल ए तिब्ब के इम्तिहानात पास किये इसी दौरान अल्लामा शाहबाज़ अमरोहवी साहब से फ़ारसी पढ़ी। 2004 में आर्मी से इस्तीफ़ा देकर अमरोहा आ गये. इस वक़्त गवर्नमेंट जूनियर हाई स्कूल जलालपुर नारायण अमरोहा में तदरीस के फ़राइज़ अंजाम दे रहे हैं। नेट उर्दू एम ए, अरबी, फ़ारसी, उरूज़, वग़ैरह के लिए तलबा आपके दौलतकदे पर भी हाज़िर होते हैं. अस्र के बाद से लेकर रात 11 बजे तक दर्स ओ तदरीस का सिलसिला चलता रहता है.

आप एक बेहतरीन शाइर और बेमिसाल अदीब हैं.जहां आपकी शाइरी कैफ ओ सुरूर का सरचशमा हैं वहीँ आपकी तहरीरें इल्म ओ अदब का बेह्तरीन ख़ज़ाना हैं. ऐसा कम बल्कि बहुत ही होता है कि कोई अदीब दोनों ही मैदान में कमाल रखता हो. आपका उसलूब ए निगारिश इन्तेहाई दिलकश और शाइरी दिल फरेब है. यही वजह है कि आप की नस्र ओ नज़्म दोनों खूब पसंद किए जाते हैं.

इस वक़्त अमरोहा के तक़रीबन अक्सर नौजवान शाइर आपके हलक़ा ए तलामिज़ा में शामिल हैं यानी आपके शागिर्द हैं. एहक़र भी आपका शागिर्द होने को अपनी ख़ुश नसीबी और अल्लाह का ख़ास करम समझता है.

आपकी चालीस से ज़्यादा किताबें हैं जिनमें से 16 किताबें शाया हो कर मक़बूल ए आम ओ खास हो चुकी हैं. उर्दू इल्म ए उरूज़ के दो एडिशन शाया हो चुके हैं. आपकी दर्ज ज़ैल किताबें शाया हो चुकी हैं

किताबें

1.फ़साहत-ए-गुफ़्तार
2.वर्नाक्यूलर ट्रांसलेशन सोसाइटी दिल्ली की इल्मी व अदब खिदमात
3.उर्दू इल्मे उरूज़
4.तालीम ओ तरबियत के नफ़्सियाती उसूल
5.आदाबे महफ़िल
6.निज़ामउल फराइद (तर्जुमा व तदवीन)
7.दुर्र ए फ़रीद
8.शब ए बाराअत की हक़ीक़त
9.नस्ली इम्तियाज़ात के बतूँ पर ज़रबते कारी
10.नूरे रजबपुर
11.फ़ारूक़ियान ए अमरोहा
12. बहार ए बोस्तान ए चिश्ती यानी दीवाने हज़रत ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती रह० का उर्दू तर्जुमा
13. बहर-ए-मीर
14.दिरायात (तनक़ीदी मज़ामीन)
15. ज़रूरी तजवीद
15. वुजूह नाज़िरा

अवार्ड
1.मीनारे इल्म अवार्ड तनकीद पर साहस डिग्री कॉलेज से

2.प्रोफेसर निसार अहमद फ़ारूक़ी अवार्ड इंडियन कल्चरल सोसाइटी दिल्ली

3.उर्दू अदब अवार्ड उत्तर प्रदेश उर्दू अदब सोसाइटी

आपकी तमाम किताबों को अहले इल्म हज़रात ने पसंद फ़रमाया खास तौर से फसाहत ए गुफ्तार, दिरायात, वर्नाक्यूलर ट्रांसलेशन सोसाइटी दिल्ली की इल्मी व अदब खिदमात और उर्दू इल्म ए उरूज़ इल्मी अदबी हलक़ो में बहुत पसंद की गई हैं. फसाहत ए गुफ़तार और वर्नाक्युलर ट्रांसलेशन सोसाईटी दिल्ली की इल्मी और अदबी ख़िदमात को उत्तर प्रदेश सरकार से इनाम भी मिल चुका है.

साहिल फ़ारूक़ी अमरोहवी

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